विज्ञापन:
मुगल काल ने एक विशाल साहित्य का निर्माण किया। यह संभव था क्योंकि मुगल सम्राट साहित्य के महान संरक्षक थे।
फारसी और हिंदी साहित्य के अलावा, बंगाली और पंजाबी साहित्य ने भी प्रगति की। इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण स्रोत पुस्तकें लिखी गईं।
बाबर और साहित्यिक गतिविधियाँ:
बाबर, जिसकी मातृ-भाषा तुर्की थी, ने तुर्क में अपनी 'तुज़क-ए-बाबुरी' (यादें) बाबर की लिखी थी। अकबर के शासनकाल के दौरान, इसका फारसी में अनुवाद किया गया था। उन्होंने कई विद्वानों का संरक्षण किया।
हुमायूँ और साहित्यिक गतिविधियाँ:
उनके समय के दौरान, उनकी बहन गुलबदन बेगम ने 'हुमायूँनामा' लिखा था। हुमायूँ ने एक बड़े पुस्तकालय का भी निर्माण किया। वास्तव में उनकी मृत्यु उनके पुस्तकालय की सीढ़ी से गिरने के कारण हुई।
अकबर और साहित्यिक गतिविधियाँ:
विज्ञापन:
निस्संदेह, इस अवधि ने बहुत उच्च स्तर के बहुत सारे साहित्य का उत्पादन देखा। उनके अधिकांश 'नवरत्न' (नौ ज्वेल्स) महान साहित्यकार थे। अबुल फ़ज़ल एक महान इतिहासकार, दार्शनिक और उस समय के विद्वान थे। वह दो महत्वपूर्ण कार्यों 'अकबरनामा' और 'ऐन-ए-अकबरी' के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रसिद्धि के इतिहासकार बदायुनी ने लिखा, 'मुन्तखब-उल-तवारीख'। एक अन्य प्रसिद्ध इतिहासकार निज़ाम-उद-दीन ने 'तबक़ात-ए-अकबरी' में अर्थव वेद, रामायण और महाभारत लिखा।
सूर, दास, आगरा के एक अंधे बैंड ने बृज भाषा में सुरसागर लिखा।
संत तुलसी दास ने पूर्वी हिंदी बोली, अवधी में अमर रामचरितमानस का निर्माण किया।
विज्ञापन:
इस अवधि में फारसी-संस्कृत के एक शब्दकोश का निर्माण देखा गया, जिसका नाम पारसी प्रकाश था।
गुरु ग्रंथ साहिब ', इस अवधि के दौरान सिखों की सबसे पवित्र पुस्तक संकलित की गई थी।
मलिक मुहम्मद जायसी ने प्रसिद्ध पद्मावत लिखी थी।
जहाँगीर ने स्वयं अपनी आत्मकथा 'तुज़ुक-ए-जहाँगीरी' लिखी थी। अन्य महत्वपूर्ण साहित्यिक और ऐतिहासिक रचनाएँ 'लबलबनम-ए-जहाँगीर और' मसिर-ए-जहाँगीर 'थीं।
शाहजहाँ और साक्षरता गतिविधियाँ:
शाहजहाँ के दरबारी अबुल हामिद लाहौरी ने ama पद्शनम् ’लिखा। प्रिंस दारा शिकोह अरबी, फारसी और संस्कृत के महान विद्वान थे। उनके संरक्षण के कारण, 'उपनिषद', भगवद-गीता ',' योग वशिष्ठ 'और' रामायण 'का फ़ारसी में अनुवाद किया गया।
औरंगजेब और साक्षरता गतिविधियाँ:
इस अवधि के दौरान सबसे महत्वपूर्ण काम 'फतवा-ए-आलमगीरी' था - जो मुस्लिम कानून का एक हिस्सा था। अन्य रचनाएँ भीमसेन द्वारा 'मुन्तखब-उल' -ए प्रसिद्ध इतिहास और भीमसेन द्वारा 'नुसखो-ए- दिलकुशा' थीं।